लखनऊ। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार, नई दिल्ली की प्रोडक्शन ग्रांट के अंतर्गत लखनऊ कम्युनिकेशन सोसाइटी की ओर से तीन दिवसीय नाट्य समारोह, अयोध्या रोड स्थित अवध एकेडमी इंटर कॉलेज परिसर में, 5 से 7 मार्च तक आयोजित किया गया। यह समारोह वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी डॉ.दरबारी लाल अस्थाना की पुण्यतिथि के अवसर पर उन्हें समर्पित किया गया।
इस क्रम में शुक्रवार को हुए समापन समारोह में लखनऊ कम्युनिकेशन सोसाइटी की ओर से नाटक “चर्चा चाची के चर्चे” का मंचन तमाल बोस के कुशल लेखन और निर्देशन में किया गया। नाटक ने दर्शकों को शॉर्टकट से चर्चित होने से बचने का संदेश दिया।
इस प्रस्तुति की सहनिर्देशिका और नाट्य समारोह की संयोजिका नीशू त्यागी ने सभी कलाकारों को प्रमाण पत्र भी वितरित किये।
नाटक के कथानक की केन्द्रीय पात्र चाची की पान की दुकान नहीं चल रही होती है इसलिए वह चर्चित होने के लिए यह अफवाह उड़ा देती हैं कि उसका एक करोड़ का कुत्ता खो गया है। उस कुत्ते को ढूढ़ने वाले को पचास लाख रुपए का इनाम दिया जाएगा। नाटक के अंत में चाची को अपनी गलती का अहसास हो जाता है।
इसमें मंच पर केन्द्रीय पात्र चाची की भूमिका प्रियंका देवी, सेठ कोंकणमल की आशीष कुमार, सेठ की बेटी करिश्मा की रुचि रावत, सेठ के नौकर की राहुल पाठक, पागल प्रेमी की विकास राजपूत, न्यूज रिपोर्टर की तन्नू कश्यप, कैमरामैन की आदित्य वर्मा, ईश्वर की कुलदीप श्रीवास्तव, 4जी-5जी की आदित्य वर्मा, मृदंग बाबा की सौरभ बिष्ट, बाबा के चेलों की आदित्य और विकास, गुलाबो की सोनी अस्थाना, चाची के पुत्र किसलिए की सनुज प्रजापति, इंस्पेक्टर की मो.नदीम और चौसठ की सौरभ वर्मा ने भूमिका अदा कर प्रशंसा हासिल की। मंच पार्श्व में विवेक रंजन के संगीत प्रभाव, रुचि रावत की मुख सज्जा, कुलदीप और रोहित श्रीवास्तव की मंच सज्जा, सौरभ और राहुल की वेशभूषा परिकल्पना ने नाटक का आकर्षण बढ़ाया।
संयोजक मंडल में शामिल दबीर सिद्दीकी, नीशू त्यागी, पुनीत अस्थाना, आनन्द अस्थाना, विजय लक्ष्मी गुप्ता और नितिन अस्थाना की ओर से वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी डॉ.दरबारी लाल अस्थाना सम्मान, शुक्रवार को मंचित नाटक “चर्चा चाची के चर्चे” के निर्देशक तमाल बोस को दिया गया। इसमें उन्हें अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह देकर अलंकृत किया गया।
इस अवसर पर वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी डॉ.दरबारी लाल अस्थाना की पौत्रवधू रत्ना अस्थाना ने बताया कि डॉ.दरबारी लाल अस्थाना का जन्म 24 जुलाई 1905 को आगरा में हुआ था। स्वतंत्रता के पच्चीसवें वर्ष के अवसर पर स्वतंत्रता संग्राम में स्मरणीय योगदान के लिए राष्ट्र की ओर से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें 15 अगस्त 1972 को ताम्रपत्र से सम्मानित किया था।
3 मार्च 1985 को लगभग 80 वर्ष की आयु में उनका स्वर्गवास हुआ था। महात्मा गांधी के सत्याग्रह आन्दोलन में डॉ. दरबारी लाल अस्थाना काफी सक्रिय रहे थे। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद डॉ. दरबारी लाल अस्थाना ने देहरादून में रहकर मेडिकल प्रैक्टिस आरंभ की।
बाद में वह लखनऊ आ गए और साल 1954 से उन्होंने उत्तर प्रदेश गांधी स्मारक निधि लखनऊ केन्द्र के संचालक के रूप में लम्बे समय तक कार्य किया। उन्होंने गांधी तत्व प्रचार के लिए उत्तर प्रदेश में अनेकों गांधी अध्ययन केन्द्रों और युवा शिविरों का आयोजन किया था।