लखनऊ। आईसीएआर-राष्ट्रीय मत्स्य जैव आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (ICAR-NBFGR), लखनऊ को आज भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी तथा अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन की गरिमामयी उपस्थिति का अवसर प्राप्त हुआ। इस दौरे के दौरान संस्थान की भूमिका को जल-जैव आनुवंशिक संसाधन संरक्षण, मत्स्य अनुसंधान एवं मत्स्य किसानों के सशक्तिकरण के संदर्भ में रेखांकित किया गया।मंत्री का स्वागत आईसीएआर-एनबीएफजीआर के निदेशक डॉ. उत्तम कुमार सरकार, वरिष्ठ अधिकारियों एवं विशिष्ट अतिथियों द्वारा किया गया। पर्यावरण संरक्षण की प्रतिबद्धता को दर्शाने के लिए एक वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया।इसके उपरांत ‘विदेशी एवं कृषक प्रशिक्षण इकाई’ (EFTU) की आधारशिला रखी गई, जिसका उद्देश्य मत्स्य किसानों की क्षमता निर्माण एवं तकनीकी हस्तांतरण को बढ़ावा देना है। संस्थान की निरंतर विकास यात्रा को दर्शाते हुए नए मुख्य द्वार का उद्घाटन भी किया गया।मंत्री ने संस्थान के अत्याधुनिक अनुसंधान एवं संरक्षण केंद्रों का व्यापक अवलोकन किया, जिसमें गंगा एक्वेरियम, लाइव फिश जर्मप्लाज्म रिसोर्स सेंटर, राष्ट्रीय मत्स्य संग्रहालय एवं रिपॉजिटरी तथा उन्नत अनुसंधान प्रयोगशालाएं शामिल थीं। इस दौरान संस्थान द्वारा मत्स्य जैव विविधता संरक्षण एवं आनुवंशिक संसाधन प्रबंधन में किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी गई। साथ ही, संस्थान द्वारा किए जा रहे कार्यों की समीक्षा बैठक भी संपन्न हुई।इस अवसर पर राष्ट्रीय जलीय पशु रोग निगरानी कार्यक्रम (NSPAAD) की वेबसाइट का शुभारंभ किया गया एवं महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रकाशनों का विमोचन हुआ, जिससे रोग निगरानी, जैव सुरक्षा एवं सतत मत्स्य प्रबंधन की दिशा में संस्थान की प्रतिबद्धता और मजबूत हुई।अपने संबोधन में मंत्री जॉर्ज कुरियन ने मत्स्य अनुसंधान के महत्व को उजागर करते हुए ब्लू इकोनॉमी को बढ़ावा देने, जैव विविधता संरक्षण एवं मत्स्य किसानों के सशक्तिकरण के लिए नवीन एवं सतत प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने संस्थान द्वारा मत्स्य आनुवंशिक संसाधन संरक्षण में किए गए वैज्ञानिक नवाचारों की सराहना की तथा अनुसंधानकर्ताओं से समग्र मत्स्य विकास हेतु समन्वय एवं सहयोग को मजबूत करने का आह्वान किया।आईसीएआर-एनबीएफजीआर के निदेशक डॉ. उत्तम कुमार सरकार ने अपने संबोधन में संस्थान की उल्लेखनीय उपलब्धियों, अनुसंधान पहलों एवं राष्ट्रीय मत्स्य विकास में योगदान को रेखांकित किया।कार्यक्रम के अंत में वैज्ञानिकों के साथ एक संवाद सत्र आयोजित किया गया, जिसमें नीतिगत सहयोग, तकनीकी हस्तक्षेप एवं भविष्य की अनुसंधान दिशा पर चर्चा हुई। यह दौरा संस्थान की मत्स्य अनुसंधान के क्षेत्र में उत्कृष्टता केंद्र के रूप में भूमिका को और अधिक सशक्त करता है, जिससे वैज्ञानिक नवाचारों और जमीनी स्तर पर उनके प्रभावी क्रियान्वयन के बीच की दूरी को पाटा जा सके। आईसीएआर-एनबीएफजीआर सतत जलीय संसाधन प्रबंधन एवं मत्स्य क्षेत्र के आर्थिक उत्थान के लिए राष्ट्रीय मत्स्य नीतियों के अनुरूप नवाचारों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।
केंद्रीय मंत्री ने किया राष्ट्रीय जलीय पशु रोग निगरानी कार्यक्रम की वेबसाइट का शुभारंभ
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