लाइव सत्यकाम न्यूज,नई दिल्ली/लखनऊ :देश में सामाजिक न्याय की दिशा में केंद्र सरकार ने एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाते हुए जाति आधारित जनगणना को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में इस प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई, जिसके बाद केंद्र की एनडीए सरकार के इस फैसले को लेकर सियासी हलकों में प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया है। अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने इस फैसले का स्वागत करते हुए इसे वंचितों के हित में लिया गया निर्णायक निर्णय बताया है।अनुप्रिया पटेल ने कहा कि उनकी पार्टी ने अपने स्थापना काल से ही जातिगत जनगणना की पुरज़ोर मांग की है और यह मुद्दा केवल सियासी नारेबाजी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने संसद से लेकर सड़क तक आवाज़ बुलंद की। उन्होंने कहा कि आज यह मांग मोदी सरकार के नेतृत्व में पूरी हुई है और इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री का आभार जताया है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय न केवल ऐतिहासिक है, बल्कि दशकों से सामाजिक न्याय की राह देख रहे करोड़ों लोगों की आकांक्षाओं को दिशा देने वाला भी है।उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना को लेकर कई वर्षों से भ्रम फैलाए जा रहे थे, लेकिन आज के फैसले ने उन तमाम भ्रांतियों पर विराम लगा दिया है। उन्होंने याद दिलाया कि 1931 के बाद देश में कभी भी जातिगत आधार पर जनगणना नहीं की गई, और आज़ादी के बाद जब यूपीए सरकार को यह मौका मिला, तब भी उसने इसे गंभीरता से नहीं लिया। परंतु मौजूदा सरकार ने यह दिखा दिया कि उसकी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं है।अनुप्रिया पटेल ने कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ पर निशाना साधते हुए कहा कि वे लोग सामाजिक न्याय की बातें केवल भाषणों और मंचों तक सीमित रखते हैं, लेकिन एनडीए सरकार ने नीतिगत स्तर पर इसे मूर्त रूप दिया है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड साफ है कि उसने सामाजिक मुद्दों को उलझाया नहीं, बल्कि समाधान दिया है।केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट किया कि जातिगत जनगणना से सरकार को नीतियां बनाने में बड़ी मदद मिलेगी। इससे यह जानने में आसानी होगी कि समाज के किन वर्गों को अब भी मुख्यधारा से जोड़ने की जरूरत है और योजनाओं को अधिक लक्षित और प्रभावी बनाया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का यह निर्णय वंचित वर्गों के विकास की दिशा में एक परिवर्तनकारी पहल है।यह निर्णय न केवल सामाजिक न्याय की दृष्टि से बल्कि राजनीतिक परिदृश्य में भी दूरगामी प्रभाव डालने वाला माना जा रहा है। जातिगत आंकड़ों के आने से विभिन्न योजनाओं और संसाधनों के वितरण में पारदर्शिता बढ़ेगी और सरकारें तथ्यों के आधार पर फैसले ले सकेंगी।
जातिगत जनगणना को लेकर लंबे समय से चली आ रही बहस के बीच अब यह स्पष्ट हो चुका है कि केंद्र सरकार इस दिशा में गंभीर और निर्णायक कदम उठाने को तैयार है। इस फैसले के बाद सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों के बीच आगे की रणनीति भी दिलचस्प होगी।
जातिगत जनगणना को कैबिनेट की मंजूरी: अनुप्रिया पटेल बोलीं— मोदी सरकार ने किया ऐतिहासिक फैसला, वंचितों को मिलेगा हक
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