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जातीय जनगणना पीडीए की जीत, भाजपा को ईमानदारी से आंकड़े सामने लाने होंगे: अखिलेश यादव

लाइव सत्यकाम न्यूज,लखनऊ : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज कहा कि जातीय जनगणना का निर्णय भारतीय संविधान में प्रदत्त सामाजिक न्याय और समानता की जीत है, जो पीडीए (पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक) समाज की एकजुटता का परिणाम है। उन्होंने कहा कि यह फैसला बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के संविधान में निहित न्याय के उस सपने को साकार करने की दिशा में एक निर्णायक कदम है, जिसके लिए समाजवादी आंदोलन लंबे समय से संघर्ष कर रहा था।पार्टी मुख्यालय पर आयोजित एक प्रेस वार्ता में अखिलेश यादव ने कहा, “केंद्र सरकार को पीडीए के दबाव में यह फैसला लेना पड़ा। यह सामाजिक न्याय की लड़ाई में पीडीए की जीत का एक अतिमहत्वपूर्ण चरण है। भाजपा अब संविधान के सामने झुकने को मजबूर हुई है।”उन्होंने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि जातीय जनगणना को चुनावी धांधली से दूर रखा जाए और आंकड़े पूरी पारदर्शिता और ईमानदारी से सामने लाए जाएं। “यह हर जाति को उसकी आबादी के अनुपात में हक देने की प्रक्रिया है, जिसे प्रभुत्ववादी ताकतें अब तक दबाए रहीं,” उन्होंने कहा।अखिलेश यादव ने इसे सकारात्मक लोकतांत्रिक आंदोलन का पहला चरण बताया और कहा कि भाजपा की नकारात्मक और विभाजनकारी राजनीति का यह अंत होगा। “संविधान के आगे मनविधान ज्यादा देर नहीं चल सकता। जातीय जनगणना इंडिया की जीत है,” उन्होंने कहा।उन्होंने जातीय जनगणना की मांग को लेकर वर्षों से चल रहे संघर्षों का उल्लेख करते हुए समाजवादी नेताओं – श्रद्धेय मुलायम सिंह यादव, शरद यादव और लालू प्रसाद यादव – के योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि यह जीत उन तमाम लोगों को समर्पित है जिन्होंने समानता की इस लड़ाई को कभी छोड़ा नहीं।
प्रेस वार्ता के दौरान श्रमिक दिवस पर उन्होंने देश-दुनिया के मजदूरों को बधाई दी और कहा कि आज मजदूरों की परिभाषा बहुत व्यापक हो गई है – कृषि श्रमिक, मनरेगा श्रमिक, लेबर मंडी के मजदूर, डिलीवरी बॉय, ड्राइवर, निर्माण कार्य में लगे श्रमिक – सभी की चुनौतियां और शोषण भाजपा सरकार में एक जैसे हैं।उन्होंने आरोप लगाया कि कोरोना काल का बहाना लेकर भाजपा सरकार ने श्रमिक कानूनों को कमजोर कर दिया और मजदूरों से उनके अधिकार छीन लिए। “भाजपा का भ्रष्ट तंत्र मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी देने में भी बाधा बन रहा है। सामाजिक सुरक्षा की व्यवस्था कमजोर कर दी गई है,” उन्होंने कहा।अखिलेश यादव ने कहा कि मजदूरों की सबसे बड़ी संख्या पीडीए वर्ग से आती है, इसलिए “मजदूरों की लड़ाई, पीडीए की लड़ाई है।” उन्होंने सरकार से मांग की कि वह श्रमिकों को उनका अधिकार वापस दे और श्रमिक कानूनों को दोबारा प्रभावी बनाए।एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार किसानों, गरीबों और आदिवासियों की जमीन छीन रही है। “बिना भाजपा सरकार को हटाए, इनकी जमीनें नहीं बचेंगी,” उन्होंने कहा।अखिलेश यादव ने जातीय जनगणना को लेकर आगामी समय में सरकारी व निजी नौकरियों, शिक्षा और संसाधनों में हक और हिस्सेदारी की बहस की शुरुआत की ओर भी संकेत किया। “यह तो शुरुआत है, आगे सामाजिक न्याय की सच्ची व्यवस्था के लिए नई लड़ाई लड़ी जाएगी,” उन्होंने कहा।

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