Homeराजनीतिवक्फ संशोधन बिल पर विपक्ष की चुप्पी पर मायावती का तीखा हमला,...

वक्फ संशोधन बिल पर विपक्ष की चुप्पी पर मायावती का तीखा हमला, कहा – मुस्लिम समाज में आक्रोश, बहुजनों की हालत बदहाल

लाइव सत्यकाम न्यूज,लखनऊ :बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर विपक्ष और विशेष रूप से लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की चुप्पी पर कड़ा सवाल उठाया है। शनिवार सुबह सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के मामले में संविधान के उल्लंघन का आरोप विपक्ष की ओर से लगाया गया था, ठीक उसी तरह वक्फ संशोधन बिल पर भी चर्चा के दौरान विपक्ष के शीर्ष नेताओं का मौन रहना मुस्लिम समाज के बीच आक्रोश और इंडिया गठबंधन में बेचैनी का कारण बना है।मायावती ने ट्वीट कर कहा, “वक्फ संशोधन बिल पर लोकसभा में हुई लम्बी चर्चा में नेता प्रतिपक्ष द्वारा कुछ नहीं बोलना अर्थात सीएए की तरह संविधान उल्लंघन का मामला होने के विपक्ष के आरोप के बावजूद इनका चुप्पी साधे रहना क्या उचित? इसे लेकर मुस्लिम समाज में आक्रोश व इनके इण्डिया गठबंधन में भी बेचैनी स्वाभाविक।”इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस और भाजपा दोनों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि ये पार्टियां वर्षों से बहुजन समाज के आरक्षण अधिकारों को निष्प्रभावी व निष्क्रिय बनाकर उन्हें वंचित करती आई हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ये दल बहुजन और धार्मिक अल्पसंख्यकों के हितों की बात तो करते हैं, लेकिन व्यवहार में छलावा करते हैं।मायावती ने कहा, “देश में बहुजनों के हित, कल्याण एवं सरकारी नौकरी व शिक्षा आदि में इन वर्गों के आरक्षण के अधिकार को निष्प्रभावी व निष्क्रिय बनाकर इन्हें वंचित बनाए रखने के मामले में कांग्रेस, भाजपा आदि ये पार्टियाँ बराबर की दोषी हैं। धार्मिक अल्पसंख्यकों को भी इनके छलावे से बचना जरूरी है।”उत्तर प्रदेश की स्थिति पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि यहां बहुजनों की हालत हर क्षेत्र में बदहाल है जबकि सत्ता पक्ष से जुड़े लोगों को कानून हाथ में लेने की खुली छूट मिली हुई है। इसके अलावा उन्होंने बिजली और अन्य सरकारी विभागों में हो रहे निजीकरण पर भी चिंता जताई।उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश में बहुजनों की स्थिति हर मामले में काफी बदहाल व त्रस्त है जबकि भाजपाइयों को कानून हाथ में लेने की छूट है। साथ ही, बिजली व अन्य सरकारी विभागों में बढ़ते हुए निजीकरण से हालात चिन्तनीय हैं। सरकार जनकल्याण का संवैधानिक दायित्व सही से निभाए।”
मायावती के इन बयानों को आने वाले लोकसभा चुनावों की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि उन्होंने विपक्ष के सबसे बड़े गठबंधन इंडिया को भी कटघरे में खड़ा किया है। उनके इस तीखे प्रहार से विपक्षी एकजुटता पर सवाल खड़े होने लगे हैं, वहीं बहुजन और अल्पसंख्यक मतदाताओं के बीच भी चर्चा तेज हो गई है।

RELATED ARTICLES

Most Popular