लाइव सत्यकाम न्यूज,लखनऊ : अवधेश वर्मा ने कहा कि जब प्रदेश के ऊर्जा मंत्री ने एक्स पर ट्वीट करके अनेको मामलों पर आंकड़े जारी करते हुए कहा कई मायने में उत्तर प्रदेश का ऊर्जा क्षेत्र देश में अव्वल है बिल्कुल बात सही है तुरंत सरकार को निजीकरण का फैसला अब वापस लेना चाहिए। निजीकरण का मतलब सोने को पीतल के भाव में बेचने जैसा है।
उपभोक्ता परिषद ने कहा जिस राज्य का ऊर्जा सेक्टर देश में दर्जनों मामलों में अव्वल है उस राज्य के ऊर्जा सेक्टर को देश के बड़े निजी घरानो को बेचने की बात करना सीधे तौर पर निजी घरानो को लाभ देने जैसा मामला है इसलिए सरकार अब निजीकरण के फैसले को वापस ले।
ऊर्जा मंत्री एक शर्मा जी द्वारा एक्स पर आज ट्वीट कर दर्जनों बिंदुओं पर खुलासा करते हुए कहा गया है कि कई मायने में उत्तर प्रदेश का ऊर्जा क्षेत्र देश में अव्वल है निश्चित तौर पर यह बात सही है ऊर्जा मंत्री ने कहा देश में अधिकतम बिजली आपूर्ति जून 2025 में 31486 मेगावाट बिजली के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए आरडीएसएस प्रोजेक्ट के क्रियान्वन में देश में नंबर वन 16000 करोड रुपए का प्रोजेक्ट देश की सर्वश्रेष्ठ बिजली ट्रांसमिशन कंपनी देश में सबसे लंबी ट्रांसमिशन लाइन 55051 सर्किट किलोमीटर और देश में उच्चतम परिवर्तन क्षमता 169074 एमवीए सहित अन्य मामलों पर अपनी बात रखी गई है।
निश्चित तौर पर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री जी उत्तर प्रदेश का ऊर्जा क्षेत्र देश में कई मामलों में अव्वल है ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार को निजीकरण का फैसला तत्काल निरस्त कर देना चाहिए कोई भी राज्य जिसका ऊर्जा क्षेत्र इतना कीर्तिमान मान स्थापित कर रहा है उसे निजी घरानो को बेचने की बात करना पूरी तरह प्रदेश की जनता के साथ बड़ा धोखा है। यह तो उसी तरह बात हो रही है कि उत्तर प्रदेश में बिजली कंपनियों को कम दामों पर बेचने की साजिश की जा रही है यानी कि सोने के सामान को पीतल के भाव में बेचने की बात करने जैसा है।
उत्तर प्रदेश राज विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा प्रदेश के ऊर्जा मंत्री ने प्रदेश के ऊर्जा सेक्टर के बारे में आज जो एक्स पर ट्वीट किया है उससे या स्पष्ट हो गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार को तत्काल निजीकरण का फैसला वापस ले लेना चाहिए पावर कारपोरेशन को प्रदेश के बिजली निगमो को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में आरडीएसएस योजना में कुल स्मार्ट प्रीपेड मीटर के खर्च को भी शामिल करते हुए यदि पूरा आकलन किया जाए तो लगभग 44000 करोड़ का खर्च किया जा रहा है उसके आधार पर बिजली कंपनियों के तंत्र को मजबूत करते हुए आगे बढ़ना चाहिए और निजीकरण की बात अब ऊर्जा सेक्टर में बंद होनी चाहिए।
उपभोक्ता परिषद लगातार यह बात कहता चल रहा है कि जब केंद्र सरकार द्वारा ऊर्जा सेक्टर को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 44000 करोड़ की सहायता प्रदान की जा रही है तो ऐसे में बिजली निगमन को बेचने की बात करना देश के बड़े निजी घरानों को लाभ देने की बात करना है।
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा या किसी को नहीं भूलना चाहिए कि पिछले दो वर्षों में सबसे ज्यादा ऊर्जा क्षेत्र के अभियंता कार्मिकों संविदा कार्मिकों को किसी ने किसी मामले में नीचा दिखाया गया बड़े पैमाने पर अभियंताओं ने वीआरएस लिया इसके बावजूद भी बिजली कंपनियां अव्वल है अब सरकार को तत्काल पावर कारपोरेशन को निर्देश देना चाहिए कि किसी भी कार्मिक का उत्पीड़न नहीं होना चाहिए ।


