लखनऊ,लाइव सत्यकाम न्यूज :विधुत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से अपील की है कि वह “आठ साल बेमिसाल” में बिजली और बिजली कर्मियों की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए बिजली के निजीकरण की चल रही प्रक्रिया को निरस्त करें। संघर्ष समिति के शैलेन्द्र दुबे ने कहा है कि बिजली कर्मियों का मुख्यमंत्री जी पर पूरा विश्वास है और बिजली के क्षेत्र में और भी अधिक युगांतरकारी सुधार करने के लिए बिजली कर्मी संकल्प बद्ध हैं। आज प्रदेश भर में बिजली कर्मियों ने निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री जी से यही अपील की।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि आठ साल बेमिसाल में बिजली की भूमिका इतनी अधिक महत्वपूर्ण है कि बजट सत्र के दौरान राज्यपाल महोदय अपने अभिभाषण में बिजली की उपलब्धि की भूरि भूरि प्रशंसा की । बजट रखते हुए प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना जी ने कहा – आज स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है । लोगों के घरों में रोशनी है । गर्मियों में निर्बाध बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित की गई है । किसानों को सिंचाई के लिए बिजली उपलब्ध है।
संघर्ष समिति ने कहा कि माननीय योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में बिजली कर्मियों ने पीछे आठ साल में ए टी एंड सी हानियां 41% से घटाकर 17% कर दी है और अगले एक साल में बिजली कर्मी इसे 15% से नीचे लाने के लिए कृत संकल्प है जो राष्ट्रीय मानक है। उन्होंने कहा कि माननीय योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में पिछले वर्ष विधुत उत्पादन निगम ने 37056 मिलियन यूनिट का रिकॉर्ड उत्पादन किया है और 30618 मेगावाट की बिजली आपूर्ति की है जो देश में सर्वाधिक है। बिजली कर्मी इन गर्मियों में 32000 मेगावाट से अधिक की बिजली आपूर्ति करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
उन्होंने कहा कि महाकुंभ के दौरान 45 दिनों तक निर्बाध बिजली आपूर्ति करके बिजली कर्मियों ने पूरे देश को चकित कर दिया। महाकुंभ में बिजली कर्मियों ने 52000 बिजली के खंभे लगाए ,73000 एलईडी लाइट लगाई, 1400 सर्किट किलोमीटर एलटी लाइन, 500 सर्किट किलोमीटर एचटी लाइन और 585 डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर । यह सब काम किया जिससे पूरी दुनिया चकित रह गई।
संघर्ष समिति के आह्वान पर आज राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर 118वें दिन लगातार बिजली कर्मियों ने निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन जारी रखा।
आठ साल बेमिसाल में बिजली की भूमिका सबसे अधिक महत्वपूर्ण:शैलेन्द्र दुबे
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