काकोरी,लखनऊ : काकोरी के रहमानखेड़ा इलाके में पिछले 91 दिनों से दहशत का कारण बना बाघ आखिरकार वन विभाग की टीम के हाथ लग ही गया।बुधवार को जोन-दो में टाइगर को ट्रैंकुलाइज कर बेहोश किया गया।जिसके बाद उसे वन विभाग की टीम द्वारा सुरक्षित पकड़ लिया गया।
इस टाइगर ने अब तक 25 पालतू सहित अन्य जानवरों को अपना शिकार बना चुका था।सबसे ताज़ा घटना बुधवार सुबह की है,जब उसने गेहूं के खेत में एक गाय को मार डाला था। इसके पहले सोमवार को भी उसने पिंजड़े के पास बंधे एक पड़वा का शिकार किया था।खास बात यह थी कि इस दौरान मौके पर वन विभाग की 100 से अधिक अधिकारी और कर्मचारियों के साथ डॉक्टरों की टीम भी मौजूद थी।लेकिन बाघ की फुर्ती के आगे वे असहाय रह गए और वह शिकार
को लेकर भाग निकला था।
बाघ पर एआई के कई कैमरों से ट्रेकिंग
बाघ को पकड़ने के लिए वन विभाग ने अत्याधुनिक तकनीक का सहारा लिया।बेंगलुरु से विशेषज्ञ डॉक्टर बुलाए गए।जो एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) कैमरों के जरिए बाघ की गतिविधियों पर नजर रख रहे थे।ये कैमरे खास तकनीक से लैस होते हैं।जो बाघ की पहचान होते ही महज एक मिनट के भीतर उसकी लोकेशन वन विभाग की सेटिंग के अनुसार ईमेल पर पहुंच जाती है।
ड्रोन व हाथियों की मदद से अभियान की तलाशी
लखनऊ के डीएफओ ने पूरे इलाके की कड़ी निगरानी के निर्देश दिए थे।बाघ की खोजबीन के लिए ड्रोन कैमरों का भी इस्तेमाल किया गया।साथ ही,जंगल के घने इलाकों में उसकी सही लोकेशन पता करने के लिए हथिनी डायना और आलोचना की मदद से चलाया जा रहा था अभियान।वन विभाग की टीम ने विशेषज्ञों की मदद से बाघ को बेहोश करने के लिए एक विशेष अभियान चलाया।ट्रेंकुलाइज करने के बाद उसे बीकेटी (बख्शी का तालाब) रेंज कार्यालय लाया जाएगा,जहां वन्यजीव चिकित्सकों की टीम उसका स्वास्थ्य परीक्षण करेगी।रहमानखेड़ा जंगल और आसपास के ग्रामीण इलाकों में इस बाघ की उपस्थिति से लोग काफी दहशत में थे।कई बार ग्रामीणों ने बाघ को खुले में घूमते देखा था,जिससे खेती और पशुपालन पर भी असर पड़ रहा था।बाघ के हमलों के चलते ग्रामीणों को रात में बाहर निकलने में डर लगने लगा था।
वन विभाग की लगातार कड़ी मेहनत लाई रंग
वन विभाग की टीम पिछले कई महीनों से बाघ पर नजर रख रही थी।कैमरा ट्रैप,ड्रोन और स्थानीय ग्रामीणों की सूचनाओं के आधार पर उसका मूवमेंट ट्रैक किया गया।कई बार उसे सुरक्षित पकड़ने की कोशिश की गई,लेकिन वह बच निकलता था।अंततः विशेषज्ञों की मदद से उसे ट्रेंकुलाइज कर लिया गया।वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार,बाघ का पूरा मेडिकल चेकअप किया जाएगा।यदि वह स्वस्थ पाया जाता है,तो उसे किसी सुरक्षित जंगल या टाइगर रिजर्व में छोड़ा जा सकता है।यदि उसकी सेहत ठीक नहीं रहती,तो उसे पुनर्वास केंद्र में रखा जाएगा।
इलाके के ग्रामीणों ने ली राहत की सांस
इस अभियान की सफलता से स्थानीय ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है।वन विभाग की टीम का कहना है कि आगे भी ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए इलाके में निगरानी बढ़ाई जाएगी।
तीन महीनों के बाद बड़ी मुश्किल से पकड़ में आया बाघ
25 जानवरों का अबतक किया शिकार,इलाके के ग्रामीणों ने ली राहत की सांस
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