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निजीकरण के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन का विस्तार करने के लिए 20 जुलाई को लखनऊ में एआईपीईएफ फेडरल काउंसिल की होगी बैठक

लाइव सत्यकाम न्यूज, लखनऊ :आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे और सेक्रेटरी जनरल पी रथनाकर राव ने बताया कि आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) की संघीय परिषद(फेडरल काउंसिल ) की बैठक 20 जुलाई को लखनऊ में होगी।

फेडरल काउंसिल की बैठक में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की चल रही प्रक्रिया पर चर्चा की जाएगी, महाराष्ट्र में समानांतर वितरण लाइसेंस के माध्यम से बिजली वितरण के निजीकरण, और टैरिफ-आधारित कंपीटीटिव बिडिंग के माध्यम से ट्रांसमिशन प्रणाली के निजीकरण, ट्रांसमिशन परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण, और एक राज्य के स्वामित्व वाली बिजली उत्पादन कंपनी (GENCO) से जुड़े संयुक्त उद्यम(ज्वाइंट वेंचर ) के गठन पर चर्चा होगी।
उन्होंने बताया कि सभी प्रान्तों के विद्युत अभियन्ता संघों के पदाधिकारी फेडरल काउंसिल मीटिंग में वर्तमान स्थिति का जायजा लेकर उपयुक्त आंदोलन कार्यक्रमों का निर्णय लेने के लिए दिन भर के लंबे विचार -विमर्श में भाग लेंगे। आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने यूपी और महाराष्ट्र में चल रहे निजीकरण के घटनाक्रमों पर गंभीर नोट लिया है और निजीकरण के असफल प्रयोगों को आगे बढ़ाने पर चिन्ता जताई है।
फेडरेशन ने विद्युत कर्मचरी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र द्वारा यूपी में कई स्थानों पर बिजली महापंचायत के आयोजन को समयानुकूल बताते हुए कहा कि बिजली क्षेत्र की सुरक्षा के लिए उपभोक्ताओं, किसानों और अन्य हितधारकों की मदद से बिजली क्षेत्र के निजीकरण के खिलाफ संयुक्त रूप से लड़ने की आवश्यकता है।
अभियंता संघ के अध्यक्ष संजय सिंह चौहान और महासचिव जितेंद्र सिंह गुर्जर ने यहां कहा कि लखनऊ में AIPEF की संघीय परिषद की बैठक पिछले सात महीनों से निजीकरण के खिलाफ संघर्षरत उप्र के बिजली इंजीनियरों और कर्मचारियों के मनोबल को बढ़ावा देगी।
फेडेरेशनकी काउंसिल मीटिंग के खुले सत्र में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, यूपी, संयुक्त किसान मोर्चा और उपभोक्ता मंच को आमंत्रित किया गया है। फेडरेशन की मीटिंग में सभी स्टेकहोल्डर्स को साथ लेकर निजीकरण के विरोध में संयुक्त संघर्ष की रणनीति तय की जाएगी।

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