लाइव सत्यकाम न्यूज, लखनऊ : विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने आने वाले वर्षों में बढ़ रही बिजली की मांग को देखते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से मांग की है कि अनपरा ई और ओबरा डी परियोजनाओं का जॉइंट वेंचर समाप्त कर इसे प्रदेश की जनता हित में में तत्काल उत्पादन निगम को दिया जाय। संघर्ष समिति ने कहा है कि परियोजना शुरू न होने से परियोजनाओं की लागत भी बढ़ेगी और उत्पादन लागत भी बढ़ेगी। संघर्ष समिति ने बताया कि उत्पादन निगम की तुलना में जॉइंट वेंचर में इन परियोजनाओं को बनाने से कम से कम 40 से 50 पैसे प्रति यूनिट महंगी बिजली मिलेगी।
उधर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में 356 दिन से लगातार चल रहे आंदोलन के क्रम में आज प्रदेश भर में समस्त जनपदों पर बिजली कर्मचारियों ने विरोध सभा कर अपना आक्रोश व्यक्त किया।
संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारियों ने आज यहां बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने जुलाई 2023 में 2×800 मेगावॉट क्षमता की अनपरा ई और 2×800 मेगावॉट क्षमता की ओबरा डी परियोजनाओं को ज्वाइंट वेंचर में मेजा थर्मल प्राइवेट कम्पनी को देने का निर्णय लिया था। विद्युत उत्पादन निगम और मेजा थर्मल के साथ ओबरा डी परियोजना का ज्वाइंट वेंचर एग्रीमेंट सितंबर 2023 में और अनपरा ई परियोजना का जॉइंट वेंचर एग्रीमेंट अप्रैल 2024 में हस्ताक्षरित कर लिया गया था। किन्तु अभी तक कोई काम नहीं शुरू हुआ है।
संघर्ष समिति ने बताया कि एग्रीमेंट के तहत ओबरा डी परियोजना की लागत 17985 करोड़ रुपए और अनपरा ई परियोजना की लागत 18624 करोड़ रुपए रखी गई है।
संघर्ष समिति ने कहा कि जॉइंट वेंचर एग्रीमेंट होने के ढाई साल बाद भी इन दोनों परियोजनाओं पर कोई काम नहीं शुरू हुआ है। इसका सबसे बड़ा दुष्परिणाम यह होगा कि परियोजनाओं की लागत बढ़ जाएगी और निर्धारित अवधि 50 माह में परियोजनाओं के पूरा न होने से प्रदेश को बिजली नहीं मिल पायेगी।
संघर्ष समिति ने कहा कि ओबरा और अनपरा परियोजनाएं उत्पादन निगम के पास है और ओबरा डी और अनपरा ई परियोजनाएं इसका विस्तार मात्र है । यह परियोजनाएं किसी दूसरी कंपनी को जॉइंट वेंचर में देने से तमाम तकनीकी दिक्कतें पैदा होगी इसी कारण से जॉइंट वेंचर में काम नहीं शुरू पा रहा है।
ऐसी स्थिति में इन परियोजनाओं को व्यापक जनहित में तत्काल उत्पादन निगम को दिया जाना चाहिए।
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में आज लगातार 356 वें दिन बिजली कर्मियों ने प्रदेश भर में समस्त जनपदों पर व्यापक विरोध प्रदर्शन किया और संकल्प व्यक्त किया कि जब तक निजीकरण का फैसला निरस्त नहीं किया जाता और समस्त उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियां वापस नहीं ली जाती तब तक बिजली कर्मी लगातार आंदोलन जारी रखेंगे।
निजीकरण के विरोध में 356 दिन से लगातार आंदोलन जारी
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