लाइव सत्यकाम न्यूज, लखनऊ : पावर कार्पोरेशन प्रबंधन द्वारा लेसा की रिस्ट्रक्चरिंग पर आज दिए गए बयान पर टिप्पणी करते हुए संघर्ष समिति ने कहा है कि पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने स्वयं स्वीकार कर लिया है कि जिन शहरों में बिजली का निजीकरण किया जा चुका है उन शहरों की तरह बिजली व्यवस्था बनाने के लिए वर्टिकल रिस्ट्रक्चरिंग लागू की जा रही है।
संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारियों ने कहा कि आज जारी किए गए बयान में पॉवर कॉरपोरेशन ने स्वयं कहा है कि “शहरों की विद्युत व्यवस्था को और बेहतर बनाकर ग्रेटर नोएडा, आगरा, दिल्ली, अहमदाबाद और मुंबई की तरह बनाना है उद्देश्य।”
संघर्ष समिति ने कहा कि इन सभी शहरों में बिजली का निजीकरण किया जा चुका है। निजीकरण के बाद किसानों को मुफ्त बिजली देना बंद कर दिया गया है और घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली की लोड शेडिंग ज्यादा समय की जाती है।
संघर्ष समिति ने कहा कि पावर कार्पोरेशन प्रबंधन को यह भी बताना चाहिए कि ग्रेटर नोएडा में बिजली की व्यवस्था बहुत अच्छी है तो पावर कार्पोरेशन प्रबंधन माननीय सर्वोच्च न्यायालय में ग्रेटर नोएडा में निजी कंपनी का लाइसेंस निरस्त कराने के लिए मुकदमा क्यों लड़ रहा है ?
पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन यह भी बताए कि निजीकरण के बाद इन शहरों में बिजली की दरें क्या है ? पावर कार्पोरेशन प्रबंधन बताएं कि मुंबई में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरें 17 रु प्रति यूनिट है या नहीं ?
संघर्ष समिति ने कहा कि पावर कारपोरेशन ने बयान देकर अपनी मंशा जाहिर कर दी है। बिजली कर्मी निजीकरण की किसी भी व्यवस्था का विरोध करने के लिए दृढ़ संकल्प है।
रिस्ट्रक्चरिंग कर शहरों की विद्युत व्यवस्था ग्रेटर नोएडा, आगरा, दिल्ली, अहमदाबाद और मुम्बई की तरह बनाने का बयान देकर पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने निजीकरण करने की योजना स्वयं स्वीकार कर ली
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