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संघर्ष के एक साल पूरा होने पर 27 नवम्बर को देशभर में व्यापक विरोध प्रदर्शन किया जाएगा

लाइव सत्यकाम न्यूज, लखनऊ : विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के केंद्रीय पदाधिकारियों ने कहा है कि अब जब विद्युत नियामक ने पॉवर कारपोरेशन द्वारा दिए गए ए आर आर में दर्शाए गए घाटे के आंकड़ों को अस्वीकृत कर दिया है तब घाटे के इन्हीं आंकड़ों के आधार पर पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण का लिया गया फैसला भी निरस्त किया जाय।
संघर्ष समिति ने बताया कि पॉवर कारपोरेशन द्वारा नियामक आयोग को प्रेषित ए आर आर में 25 हजार करोड़ रुपए का घाटा बताया गया था । विद्युत नियामक आयोग ने गहन परीक्षण के बाद कहा है कि वर्ष 2025 – 26 में राजस्व वसूली और खर्चों में लगभग मात्र 7710 करोड़ रुपए का अन्तर रहेगा किन्तु 01 अप्रैल, 2025 को पॉवर कारपोरेशन के खाते में 18592 करोड़ रुपए अतिरिक्त जमा होने के कारण यह घाटा भी नहीं होगा। इसी आधार पर नियामक आयोग ने बिजली टैरिफ में कोई वृद्धि नहीं की है।
संघर्ष समिति ने कहा कि कथित घाटे के नाम पर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय एक वर्ष पूर्व लिया गया था। इसके अतिरिक्त दागी ट्रांजैक्शन कंसलटेंट ग्रांट थॉर्टन द्वारा तैयार किए गए आर एफ पी डॉक्यूमेंट को भी इसी घाटे के आधार पर ही बनाया गया है।
संघर्ष समिति ने कहा कि अब जब घाटे के आंकड़े ही गलत साबित हो गए हैं तब निजीकरण के लिए तैयार किया गया आर एफ पी डॉक्यूमेंट भी पूरी तरह गलत हो जाता है। ऐसी स्थिति में आर एफ पी डॉक्यूमेंट भी निरस्त किया जाय और निजीकरण का निर्णय भी वापस लिया जाना चाहिए।
संघर्ष समिति ने यह भी मांग की है की ए आर आर तैयार करने वाले और निजीकरण हेतु आर एफ पी डॉक्यूमेंट तैयार करने वाले तत्कालीन निदेशक वित्त पर एफ आई आर दर्ज कर इस फर्जीवाड़ा के लिए उन पर कठोर कार्यवाही की जाए।
संघर्ष समिति प्रारंभ से ही कहती रही है कि पावर कार्पोरेशन प्रबंधन घाटे के फर्जी आंकड़े देकर और उत्पीड़न कर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण करना चाहता है। विद्युत नियामक आयोग ने संघर्ष समिति के आरोपों की पुष्टि कर दी है।
निजीकरण के विरोध में चल रहे हैं संघर्ष का एक वर्ष पूरा होने पर आगामी 27 नवंबर को देशभर के बिजली कर्मचारी और इंजीनियर उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मियों के समर्थन में सभी राज्यों की राजधानियों में और बड़े बिजली उत्पादन घरों पर व्यापक विरोध प्रदर्शन करेंगे। उत्तर प्रदेश में भी सभी जनपदों में जोरदार विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे। विशेष तौर पर डिस्कॉम मुख्यालयों और परियोजनाओं पर बड़े विरोध प्रदर्शन करने की योजना है।

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