लखनऊ,लाइव सत्यकाम न्यूज :विधुत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के केंद्रीय पदाधिकारियों ने लखनऊ में नौ अप्रैल को होने वाली विशाल रैली की तैयारी में प्रांत व्यापी दौरा प्रारंभ कर दिया है और जनपदों में बिजली पंचायत शुरू हो गई हैं।इस बीच संघर्ष समिति ने निर्णायक संघर्ष की तैयारी और चौबीश घण्टे मॉनिटरिंग के लिए लखनऊ में सेंट्रल कंट्रोल रूम बना दिया है।
कल देश के दस बड़े राष्ट्रीय श्रम संघों ने बिजली वितरण के निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन का अपने प्रस्ताव में उल्लेख कर खुला समर्थन किया है।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि कल दिल्ली में संपन्न हुए दस श्रम संघों के राष्ट्रीय सम्मेलन में पारित प्रस्ताव में विधुत वितरण निगमों के निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन का उल्लेख कर इसका समर्थन किया गया है। दिल्ली में हुए सम्मेलन में पारित प्रस्ताव में कहा गया है – डिस्कॉम को निजी खिलाड़ियों को सौंपे जाने के खिलाफ बिजली कर्मचारी लगातार आन्दोलन कर रहे हैं। …राष्ट्रीय हित में रेलवे, कोयला खदान, बिजली, पेट्रोलियम, बैंक, बीमा.. के निजीकरण अभियान पर तत्काल रोक लगानी चाहिए।”
जिन राष्ट्रीय श्रम संघों ने बिजली के निजीकरण पर रोक लगाने की मांग की है और निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन का समर्थन किया है उनमें मुख्यतया इंटक, एटक, एच एम एस सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, ए आई सी सी टी यू, एल पी एफ और यू टी यू सी सम्मिलित हैं।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने रामपुर और मुरादाबाद में बिजली पंचायत की। मुरादाबाद की बिजली पंचायत में बिजनौर, संभल, अमरोहा, नजीबाबाद, चंदौसी और मुरादाबाद के बिजली कर्मी व आम उपभोक्ता सम्मिलित हुए।
संघर्ष समिति ने आरोप लगाया है कि बिजली के निजीकरण में बड़ा भ्रष्टाचार होने वाला है। उन्होंने कहा कि बिजली का निजीकरण करके आम उपभोक्ताओं और किसानों के लिए बिजली की दरों में बेतहाशा वृद्धि की जाने वाली है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि मुंबई में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरें 17.71 रुपए प्रति यूनिट तक है। कोलकाता में निजी क्षेत्र में बिजली की दरें 10 से 12 रुपए प्रति यूनिट तक है और दिल्ली में निजी क्षेत्र में बिजली की दरें 08 से 10 रुपए प्रति यूनिट तक है जबकि उत्तर प्रदेश में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए अधिकतम दरें 06.50 रुपए प्रति यूनिट है।
संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण के पहले बड़े पैमाने पर संविदा कर्मियों को हटाया जा रहा है और नियमित बिजली कर्मचारियों की रियायती बिजली की सुविधा जबरन समाप्त की जा रही है। यह सब इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 का खुला उल्लंघन है।
उन्होंने कहा कि लखनऊ में नौ अप्रैल को अब तक की बिजली कर्मियों की सबसे बड़ी रैली होनी जा रही है ।इस रैली में बिजली के निजीकरण के विरोध में संघर्ष का शंख नाद किया जाएगा।
संघर्ष समिति ने निर्णायक संघर्ष के लिए लखनऊ में सेंट्रल कंट्रोल रूम बनाया
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