Homeलाइफ स्टाईलनाटक उर्मिला ने दिया कर्तव्यनिष्ठता, त्याग, धैर्य और आत्म-नियंत्रण का संदेश

नाटक उर्मिला ने दिया कर्तव्यनिष्ठता, त्याग, धैर्य और आत्म-नियंत्रण का संदेश

लाइव सत्यकाम न्यूज, लखनऊ : यायावर रंगमंडल की ओर से चालीस दिवसीय अभिनय कार्यशाला के अंतर्गत तैयार नाट्य प्रस्तुति उर्मिला का मंचन मोहम्मद हफीज के कुशल निर्देशन में सोमवार एक दिसम्बर को किया गया। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली के सहयोग से अशोक कुमार श्रीवास्तव के लिखे इस नाटक का मंचन कैसरबाग स्थित राय उमानाथ बली ऑडिटोरियम में किया गया। इसमें देवी उर्मिला के त्याग, कर्तव्यनिष्ठता, धैर्य और आत्मनियंत्रण को सशक्त रूप में मंच पर दर्शाया गया।

नाटक उर्मिला का प्रारम्भ मंगलाचरण के साथ होता है, जिसे सूत्रधार एक सूत्र में पिरोते हुए रामायण कथन को आगे बढ़ाते हैं। इसमें यथास्थान मानस की चौपाइयों और दोहों का सुन्दर संयोजन देखने और सुनने को मिला।

प्रारंभ में प्रथम देव की स्तुति करते हुए “वर्णानामर्थ संघानां….” अर्थात मैं उन अक्षरों, अर्थों के समूहों, रसों, छंदों और मंगल को करने वाली भगवती सरस्वती और भगवान गणेश की वंदना करता हूँ, के माध्यम से श्रद्धापूर्वक भावांजलि अर्पित की गई। इस क्रम में हनुमान चालीसा के प्रथम दोहे के माध्यम से संदेश दिया गया कि प्रभु राम-धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाले हैं। इस क्रम में श्रीरामचरितमानस के शिव धनुष-भंग प्रसंग के माध्यम से अभिव्यक्त किया गया कि प्रभु राम की शक्ति और तेज अविश्वसनीय है।

“रघुकुल रीत सदा चली आई” और “पितु की आज्ञा पालने राम गए वन” के माध्यम से मर्यादा पुरुषोत्तम राम के विशाल व्यक्तित्व की झलक पेश की गई वहीं “अति आनंद उमगि अनुरागा” के उपरांत गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित सर्वाधिक लोकप्रिय भजन “श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन” की प्रस्तुति देखते ही बनी। नाटक ने दर्शकों के समक्ष उर्मिला के त्याग, बलिदान और तप की जो विशाल काया सृजित की वह अत्यंत प्रेरक और प्रभावित करने वाली थी। नाटक के माध्यम से बताया गया कि देवी उर्मिला का यह त्याग, माता सीता के त्याग से कम नहीं है क्यों कि एक ओर जहां माता सीता ने अपने पत्नी धर्म का पालन प्रभु राम के साथ वनवास जाकर किया वहीं देवी उर्मिला ने 14 वर्षों तक अपने पतिदेव लक्ष्मण से वियोग सहा। इसके साथ ही उन्होंने राजवंश की वधु होने का दायित्व महल में रहते हुए 14 वर्षों तक निभाया वहीं पूर्ण पवित्रता से पतिव्रता का पालन किया।

नाटक उर्मिला में 18 से लेकर 65 आयु तक के प्रतिभागी रहे। मंच पर आशुतोष त्रिपाठी, शिवानी, मोनिका अग्रवाल, आन्या सिंह, माही बिष्ट, अमितेश श्रीवास्तव, अंकित कुमार, ईशान, अर्पित कुमार, सोनू कुमार, शिवानी, गिरीश तिवारी, प्रखर शर्मा, शिवम गौतम, गरिमा यादव, अर्पित कुमार, ईशान ने चरित्र अनुरूप अभिनय कर प्रशंसा हासिल की वहीं नृत्य दल में प्रियम यादव, प्रगति गुप्ता, व्रति सक्सेना, दिलप्रीत कौर ने प्रभावी संयोजन पेश किये। इसके प्रस्तुति नियन्त्रक कीर्ति प्रकाश और उनके सहायक संजय तिवारी थे जबकि मंच व्यवस्था सुश्रुत गुप्ता, विनय गज्जर, अनूप सिंह ने संभाली।

इस प्रस्तुति में पुष्पलता की वेशभूषा, शहीर अहमद की रूप सज्जा, गरिमा यादव, गिरीश तिवारी की मंच सामग्री, मो. शकील का मंच निर्माण, सुश्रुत गुप्ता के प्रचार प्रसार, सचिन मिश्रा की प्रकाश व्यवस्था, आदर्श कुमार के संगीत संकलन, आद्या घोषाल के संगीत संचालन और अंकित श्रीवास्तव के संगीत संयोजन, मंच परिकल्पना एवं सह-निर्देशन ने उर्मिला नाट्य प्रस्तुति का आकर्षण बढ़ाया।

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