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एआई-सक्षम वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली की ओर बड़ा कदम, IIT कानपुर और IBM इंडिया में तकनीकी साझेदारी

लाइव सत्यकाम न्यूज,लखनऊ :उत्तर प्रदेश में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल के तहत आईआईटी कानपुर की एरावत रिसर्च फाउंडेशन और IBM इंडिया के बीच तकनीकी साझेदारी स्थापित की गई है। इस सहयोग से राज्य में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित, वास्तविक समय पर कार्य करने वाली वायु गुणवत्ता निगरानी एवं प्रबंधन प्रणाली लागू की जा रही है।इस परियोजना का नेतृत्व प्प्ज् (IIT) कानपुर के कोटक स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी के डीन और एरावत रिसर्च फाउंडेशन के परियोजना निदेशक प्रो. सच्चिदानंद त्रिपाठी कर रहे हैं। उनके अनुसार यह पहल उत्तर प्रदेश और बिहार के 1,365 ब्लॉकों में कम लागत वाले देसी सेंसरों की स्थापना से शुरू हुई है। इसी के आधार पर देश का पहला ‘एयरशेड फ्रेमवर्क’ तैयार किया गया है, जो पारंपरिक सिमुलेशन की बजाय पूरी तरह डेटा-आधारित सीमाओं पर केंद्रित है।प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि उत्तर और दक्षिण उत्तर प्रदेश में दो बड़े एयरशेड चिन्हित किए गए हैं, जो 15-20 जिलों तक फैले हैं। यह व्यवस्था न केवल राज्य स्तरीय, बल्कि जिला और क्षेत्रीय स्तर पर भी सहयोग और समन्वय को नई दिशा देती है। इसके अंतर्गत आईआईटी कानपुर द्वारा विकसित मोबाइल एयर क्वालिटी लैब की लखनऊ में 12 दिन की तैनाती से औद्योगिक प्रदूषण, धातु प्रदूषकों, ई-कचरे और कोयला दहन जैसे स्रोतों की पहचान की गई है। इन्हीं आंकड़ों के आधार पर एक एआई-पाइपलाइन विकसित की गई है, जो हॉटस्पॉट विश्लेषण, प्रदूषण स्रोतों की पहचान और क्षेत्र विशेष के लिए कार्यनीति तय करने में सक्षम है।ब्लॉक स्तर तक विस्तृत निगरानी के तहत 1,365 सेंसरों से हर दिन लगभग दो लाख डेटा बिंदु प्राप्त हो रहे हैं, जिससे 0.5 वर्ग किमी के स्तर तक पीएम 2.5 प्रदूषण का विश्लेषण किया जा रहा है। प्रो. त्रिपाठी के अनुसार यह व्यवस्था सरकारी नेटवर्क के 110 मॉनिटरिंग स्टेशनों की तुलना में कहीं अधिक विस्तृत, सटीक और प्रभावी है।उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष रवींद्र प्रताप सिंह ने इस तकनीक को क्रांतिकारी बताते हुए कहा कि संसाधनों की सीमाओं के बावजूद बोर्ड इस तकनीक को तेजी से अपनाने की दिशा में अग्रसर है।पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रमुख सचिव अनिल कुमार ने बताया कि इस निगरानी प्रणाली से पहली बार यह तथ्य सामने आया है कि आजमगढ़, कुशीनगर और श्रावस्ती जैसे ग्रामीण जिलों की वायु गुणवत्ता कई शहरी क्षेत्रों से भी अधिक खराब है। उन्होंने कहा कि इस तकनीक से समय रहते हस्तक्षेप कर वायु प्रदूषण नियंत्रण में प्रभावी कदम उठाए जा सकते हैं। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि उत्तर प्रदेश कैम्प (UP-CAMP) कार्यक्रम के अंतर्गत विश्व बैंक समर्थित 5,000 करोड़ रुपये की योजना जल्द शुरू की जाएगी।IBM इंडिया सॉफ्टवेयर लैब्स के वाइस प्रेसिडेंट विशाल चहल ने कहा कि सरकार, शिक्षा और उद्योग के त्रिपक्षीय सहयोग से नवाचारों को बड़े स्तर पर लागू किया जा सकता है। IBM की एआई विशेषज्ञता और IIT कानपुर की क्षेत्रीय समझ मिलकर वायु गुणवत्ता में सुधार लाने के राष्ट्रीय प्रयासों को गति देंगे।परियोजना में IBM इंडिया लखनऊ के निदेशक अनुज गुप्ता तकनीकी नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं। वे सिस्टम आर्किटेक्चर, एआई/एमएल एकीकरण और डेटा डैशबोर्ड के विकास का कार्य देख रहे हैं।यह साझेदारी उत्तर प्रदेश में पर्यावरणीय नवाचारों के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हो सकती है और वायु गुणवत्ता सुधार की दिशा में देश के लिए एक मॉडल प्रस्तुत करेगी।

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