लखनऊ: वितरण टैरिफ रेगुलेशन 2025 की सुनवाई विद्युत नियामक आयोग कोर्ट रूम में लगभग डेढ घंटे चली उपभोक्ता परिषद ने रात दिन की टैरिफ (टीओडी)भावी निजीकरण के प्रोग्राम पर जब शुरू किया विधिक सवालों की बौछार तो सबकी बोलती बंद परिषद ने कहा भावी निजीकरण पर कानून असंवैधानिक।
उत्तर प्रदेश राज विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा विद्युत नियामक आयोग को विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 181 के तहत कोई भी रेगुलेशन बनाने का अधिकार है उसके विपरीत जाकर कोई भी रेगुलेशन नहीं बन सकता विद्युत नियामक आयोग ने जो प्रस्तावित रेगुलेशन तैयार किया है अगर वह लागू हुआ तो प्रदेश का उपभोक्ता लालटेन युग में चला जाएगा आगे अपनी बात रखते हुए कहा पिछले 5 वर्षों में जो भी वित्तीय पैरामीटर व मानक पर कानून बना था उसको बिजली कंपनियों की तरफ से माननीय आपप्लेट में चौलेंज किया गया है फिर उसमें बदलाव कैसे हो सकता है प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33122 करोड सर प्लस निकल रहा है अगले तीन वर्षों में टैरिफ पॉलिसी के तहत उसका हिसाब प्रदेश के उपभोक्ताओं को कैसे मिलेगा वह प्रस्तावित कानून में नदारत है रिपेयर एंड मेंटेनेंस सहित ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस के मध में जो बदलाव प्रस्तावित है उसे प्रदेश के उपभोक्ताओं का बडा नुकसान होगा एक तरफ विद्युत नियामक आयोग आरडीएसएस की एटीएनडसी हानियों को मानने की बात करता है और दूसरी तरफ कंस्यूमर राइट रूल 2020 के तहत सभी उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली मिलने के नाम पर प्रस्ताव में संशोधन क्यों नहीं यह मनमाना कानून नहीं चलेगा। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा दिन रात की टैरिफ (टीओडी) प्रस्ताव में लाया गया है वहीं दूसरी तरफ पावर कॉरपोरेशन भारत सरकार को पत्र भेजता है कि अभी अगले वर्षों तक उसे लागू नहीं किया जा सकता दूसरा सबसे चौंकाने वाला मामला यह है कि यह दिन-रात का टैरिफ लागू हुआ तो प्रदेश के एक करोड 75 लाख गरीब उपभोक्ताओं की बिजली दरों में लगभग 1 रुपए से ज्यादा का ईजीफा होगा प्रदेश के 70 प्रतिसत विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरें बढ जाएगी यह कानून वर्तमान में प्रदेश की दो क्रांतिकारी पर लागू है जिसका टैरिफ सॉफ्टवेयर में आज तक प्रावधान नहीं हुआ इस तुगलकी कानून को लागू करने के बारे में सोचना भी गलत है इसलिए इसे प्रस्ताव से बाहर किया जाए।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने भावी निजीकरण पर करार रा हमला बोलते हुए कहा विद्युत नियामक आयोग को सबसे पहले विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 181 को ठीक से पढना चाहिए जिसमें स्पष्ट लिखा है की विद्युत अधिनियम 2003 के संगत प्रावधानों के तहत बिना प्रतिकूल प्रभाव डालें कोई भी विनियम आयोग बना सकता है लेकिन आयोग को को यह समझना चाहिए की भावी निजीकरण (फ्यूचर प्राइवेटाइजेशन ) नामक कोई भी व्यवस्था विद्युत अधिनियम 2003 में नहीं है ऐसे में विद्युत नियामक आयोग को क्या सुपर पावर मिल गई है जो वह भावी निजीकरण की बात कर रहा है इस प्रकार का हास्य पद कानून तत्काल डिलीट होना चाहिए उपभोक्ता परिषद में तंज करते हुए कहा बच्चे का जन्म नहीं हुआ और उसका नामांकरन किया जा रहा है। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने सुनवाई में अपनी बात रखते हुए कहा यह अडानी टाटा एनपीसीएल वह टोरेंट पावर के लिए रास्ता खोला जा रहा है उपभोक्ता परिषद इसे संभव नहीं होने देगा निजीकरण की प्रक्रिया पर आयोग का यह प्रस्ताव असंवैधानिक है। इस प्रकार का भावी कानून पूरे देश के किसी भी राज्य में लागू हो तो नियामक आयोग बताएं जिस पर सभी ने चुप्पी साध ली।
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने नियामक आयोग के प्रस्तावित कानून पर बोला करारा हमला
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