लखनऊ । उत्तर प्रदेश मैं दक्षिणांचल व पूर्वांचल 42 जनपदों के निजीकरण हेतु ट्रांजैक्शन एडवाइजर हेतु टेंडर भरे जाने की अंतिम तारीख जहां 3 मार्च को नजदीक आ गई है वहीं उपभोक्ता परिषद ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश सरकार से मांग उठाई है की उत्तर प्रदेश में कनफ्लिक्ट आप इंटरेस्ट (हितों का टकराव) के मानक में शिथिलता प्रदान किया जाना भारत सरकार ऊर्जा मंत्रालय सहित केंद्रीय सतर्कता आयोग के आदेशों का खुला उल्लंघन ही नहीं अनेकों मामलों में सुप्रीम कोर्ट में पारित आदेश का भी उल्लंघन है ऐसे में कनफ्लिक्ट आप इंटरेस्ट के मानक को शिथिलता दिए जाने के बाद टेंडर को भरने की छूट देना अपने आप में आने वाले समय में ऊर्जा इतिहास में एक बड़ा मामला साबित हो सकता है। भारत देश में पहले ऐसा मामला है जहां कंसल्टेंट के टेंडर में कनफ्लिक्ट आफ इंटरेस्ट मैं छूट दी गई है जिस पर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी को तत्काल से सज्ञान लेना चाहिए।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कंसल्टेंट के मामले में कनफ्लिक्ट आप इंटरेस्ट एक महत्वपूर्ण मानक होता है उसमें पहले कठोर प्रावधान करना और उसके बाद उसमें शिथिलता प्रदान करना यह अपने आप में आने वाले समय के लिए ऊर्जा सेक्टर में इस बात के लिए हमेशा चर्चा में मामला आएगा की उत्तर प्रदेश मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी ने किसके दबाव में कॉन्फिडेंट आफ इंटरेस्ट में बदलाव किया पूरे देश में कंप्लीट आप इंटरेस्ट के मामले में किसी भी राज्य में कोई शिथिलता प्रदान नहीं की गई है यहां पर कंसलटेंट के टेंडर में जो भाग लेने वाले कंसलटेंट हैं उनकी मांग पर शिथिलता प्रदान किया जाना इस बात को दर्शाता है कि मनचाही कंपनियां ट्रांजैक्शन एडवाइजर बनकर अपने तरीके से रिपोर्ट तैयार करेगी जो आने वाले समय में ऊर्जा क्षेत्र के इतिहास में बड़ा मामला बनेगा।
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा अभी भी समय है उत्तर प्रदेश सरकार को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करते हुए कनफ्लिक्ट आप इंटरेस्ट के प्रावधान को सख्त से सख्त पहले जैसा बना कर टेंडर की तिथि को आगे बढ़ते हुए कानून की परिधि में कार्यवाही को आगे बढ़ना चाहिए अन्यथा की स्थिति में रेगुलेटरी फ्रेमवर्क और विधुत अधिनियम 2003 के सु संगत प्रावधानों का उल्लंघन माना जाएगा।