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03 मार्च को समस्त जनपदों और शक्ति भवन पर जोरदार प्रदर्शन की तैयारी

लखनऊ:विधुत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने बिजली के निजीकरण की चल रही गैर कानूनी प्रक्रिया को तत्काल निरस्त करने की मांग की है। संघर्ष समिति ने कहा है कि यदि निजीकरण की प्रक्रिया तत्काल निरस्त न की गई और टेक्निकल बीड खोलने की कोशिश की गई तो 03 मार्च को समस्त जनपदों, परियोजना मुख्यालयों और राजधानी लखनऊ में जोरदार प्रदर्शन किए जाएंगे। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि यह विदित हुआ है कि ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट की बीड डालने के अंतिम दिन तक केवल दो ही कंपनियों ने बीड डाली है। उन्होंने कहा कि पावर कार्पोरेशन प्रबंधन यह सार्वजनिक करे कि किन-किन कंपनियों ने बीड डाली है जिससे पता चल सके कि कनफ्लिक्ट आफ इंटरेस्ट (हितों को टकराव) के दायरे में यह कंपनियां आती है या नहीं। संघर्ष समिति ने कहा कि इसके अतिरिक्त चूंकि यह पता चला है कि तीन से कम कंपनियों की बीड आई है अतः वैसे भी ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट नियुक्त करने की बिडिंग असंवैधानिक हो जाती है अतः इसे निरस्त किया जाना चाहिए। संघर्ष समिति ने कहा कि प्रारंभ से ही पूर्वांचल विधुत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विधुत वितरण निगम के निजीकरण की सारी प्रक्रिया के पीछे भारी घोटाले के संकेत मिल रहे हैं। पावर कार्पोरेशन प्रबंधन निजीकरण को लेकर इतना उतावला है कि पूर्वांचल विधुत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विधुत वितरण निगम की 42 जनपदों की लाखों करोड़ रुपए की परिसंपत्तियों का मूल्यांकन तक कराना जरूरी नहीं समझा गया। इसके बाद ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट नियुक्त करने के आरएफपी डॉक्यूमेंट में परिवर्तन कर कनफ्लिक्ट आफ इंटरेस्ट के प्रावधान को ड्रॉप कर दिया गया। यह सब गतिविधियां बहुत संदेहास्पद हैं। संघर्ष समिति ने कहा की योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार में भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति है। बिजली के निजीकरण की प्रक्रिया में लगातार जिस प्रकार के बदलाव किए जा रहे हैं उससे भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति की धज्जियां उड़ाई जा रही है। संघर्ष समिति ने कहा की 05 अप्रैल 2018 और 06 अक्टूबर 2020 के समझौते का सम्मान करते हुए पावर कार्पोरेशन प्रबंधन को निजीकरण की जिद छोड़कर बिजली वितरण की मौजूदा व्यवस्था में ही बिजली कर्मचारियों को विश्वास में लेकर सुधार करना चाहिए और निजीकरण की प्रक्रिया पूरी तरह से निरस्त कर देनी चाहिए।

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