लाइव सत्यकाम न्यूज,लखनऊ :संघर्ष समिति ने निजीकरण के विरोध में विद्युत नियामक आयोग के कार्यालय पर किया मौन प्रदर्शन
निजीकरण के लिए किए जा रहे उत्पीड़न के विरोध में बिजली कर्मचारियों ने 22 जुलाई को प्रांतव्यापी विरोधी प्रदर्शन का ऐलान किया है। राजधानी लखनऊ में ऊर्जा मंत्री के निवास पर बिजली कर्मी विरोध दर्ज करेंगे।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के नेतृत्व में आज सैकड़ो बिजली कर्मियों ने निजीकरण के विरोध में विद्युत नियामक आयोग के कार्यालय पर मौन प्रदर्शन किया। विद्युत नियामक आयोग की जनसुनवाई के दौरान संघर्ष समिति के पदाधिकारी अपनी बात रखना चाहते थे किंतु यह पहली बार हुआ जब जन सुनवाई के दौरान विद्युत नियामक आयोग के मुख्य द्वार पर ताला लगा दिया गया और संघर्ष समिति के पदाधिकारी अन्दर नहीं जा सके। संघर्ष समिति ने जनसुनवाई को असवैधानिक बताते हुए विद्युत नियामक आयोग से मांग की है कि जनसुनवाई दोबारा रखी जाए और संघर्ष समिति की बात भी सुनी जाए।
पावर कार्पोरेशन प्रबंधन द्वारा निजीकरण के लिए बिजली कर्मियों पर बड़े पैमाने पर की जा रही उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियों के विरोध में 22 जुलाई को बिजली कर्मी प्रदेश भर में व्यापक विरोध प्रदर्शन करेंगे। उत्पीड़न की लगातार चल रही कार्यवाहियों के बीच में जिस प्रकार ऊर्जा मंत्री ने मात्र दस मिनट के लिए बिजली जाने पर जूनियर इंजीनियर से लेकर मुख्य मुख्य अभियन्ता तक को निलंबित कर दिया है उसके विरोध में राजधानी लखनऊ के बिजली कर्मी ऊर्जा मंत्री के निवास पर जाकर विरोध दर्ज कराएंगे।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के केंद्रीय पदाधिकारियों संजय सिंह चौहान, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, पी.के.दीक्षित, सुहैल आबिद, चंद्र भूषण उपाध्याय, विवेक सिंह, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, आर बी सिंह, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी, रामचरण सिंह, श्रीचन्द, सरजू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, ए.के. श्रीवास्तव, देवेन्द्र पाण्डेय, के.एस. रावत, राम निवास त्यागी, प्रेम नाथ राय, शशिकान्त श्रीवास्तव, मो इलियास, रफीक अहमद, पी एस बाजपेई, जी.पी. सिंह, राम सहारे वर्मा, विशम्भर सिंह ने आज यहां बताया कि जनसुनवाई के दौरान संघर्ष समिति ने नियामक आयोग के अध्यक्ष को वाराणसी, आगरा और मेरठ में निजीकरण के विरोध में ज्ञापन दिए थे। आज राजधानी लखनऊ में जनसुनवाई होने के कारण संघर्ष समिति के लोग जन सुनवाई के दौरान निजीकरण के विरोध में अपनी बात रखना चाहते थे। किंतु ऐसा पहली बार हुआ जब जनसुनवाई के दौरान विद्युत नियामक आयोग के मुख्य द्वार पर ताला लगा दिया गया। सैकड़ो बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण विरोधी पट्टियां लेकर विद्युत नियामक आयोग के मुख्य द्वार पर मौन प्रदर्शन किया।
संघर्ष समिति ने मुख्य द्वार पर ताला लगाए जाने के चलते आज की जनसुनवाई को असंवैधानिक करार दिया है। संघर्ष समिति ने मांग की है कि निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मियों को अपना पक्ष रखने देने के लिए लखनऊ में दोबारा जन सुनवाई कराई जाए।
निजीकरण के विरोध में विगत 08 महीने से चल रहे शांतिपूर्ण आंदोलन से बौखलाए हुए पावर कार्पोरेशन प्रबंधन द्वारा बिजली कर्मियों पर की जा रही उत्पीड़न की कार्यवाहियों के विरोध में संघर्ष समिति ने 22 जुलाई को प्रदेश के समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर व्यापक विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है।
संघर्ष समिति ने बताया कि उत्पीड़न की दृष्टि से हजारों बिजली कर्मचारियों का दूरस्थ स्थानों पर ट्रांसफर किया गया और उन्हें बिना प्रतिस्थानी की प्रतीक्षा किए तत्काल कार्य मुक्त कर दिया गया। फेशियल अटेंडेंस के नाम पर 7000 से अधिक बिजली कर्मियों का जून माह का वेतन रोक लिया गया है। 21 जुलाई तक बिजली कर्मियों को वेतन नहीं दिया गया है जिससे उनके परिवारों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़र हा है। इसके पूर्व अत्यंत अल्प वेतन भोगी संविदा कर्मचारियों की निजीकरण करने के लिए बड़े पैमाने पर छटनी की गई और उन्हें निकाल दिया गया।
संघर्ष समिति ने कहा कि रियायती बिजली की सुविधा समाप्त करने की दृष्टि से बिजली कर्मियों के घरों पर जबरदस्ती स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं। स्मार्ट मीटर लगाने हेतु बिजली कर्मियों और उनके परिवारों को परेशान किया जा रहा है । रियायती बिजली की सुविधा बिजली कर्मियों को इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003, ट्रांसफर स्कीम 2000 और रिफॉर्म एक्ट 1999 के अंतर्गत मिल रही है। स्मार्ट मीटर लगाना इन तीनों अधिनियमों का खुला उल्लंघन है।
आज प्रदेश के समस्त जनपदों एवं परियोजनाओं पर बिजली कर्मचारियों ने 22 जुलाई को होने वाले व्यापक विरोध प्रदर्शन के लिए जन जागरण किया और विरोध सभा की।