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राष्ट्रीय कला मंच की अखिल भारतीय कार्यशाला में अवध प्रांत के सितारे चमके

लाइव सत्यकाम न्यूज; लखनऊ : राष्ट्रीय कला मंच की दो दिवसीय अखिल भारतीय कार्यशाला दिनांक 22-23 जुलाई 2025 को महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र) में भव्य रूप से सम्पन्न हुई। इस कार्यशाला में मंच की सात प्रमुख सांस्कृतिक विधाओं के अंतर्गत सात अखिल भारतीय टोलियों की औपचारिक घोषणा की गई, जिसमें अवध प्रांत के चार सक्रिय और प्रतिभाशाली कार्यकर्ताओं ने अपनी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज कराते हुए राष्ट्रीय स्तर पर स्थान प्राप्त किया।

तनुजा ओली सनवाल – नृत्य विधा की अखिल भारतीय टोली की कोऑर्डिनेटर,
हर्षिका सिंह – विजुअल आर्ट (दृश्य कला) की अखिल भारतीय टोली की को-कोऑर्डिनेटर,
आशुतोष कुमार श्रीवास्तव – साहित्य विधा की अखिल भारतीय टोली के सदस्य,
कुसुम कनौजिया – नाट्य कला की अखिल भारतीय टोली की सदस्य
यह चयन न केवल अवध प्रांत के लिए गर्व का विषय है, बल्कि यह प्रांत के कार्यकर्ताओं की सृजनात्मक क्षमता, निरंतर साधना और संगठन के प्रति समर्पण का प्रमाण भी है। इन सभी प्रतिभागियों ने विगत वर्षों में सांस्कृतिक मंचों पर अपनी कला और नेतृत्व का प्रभावशाली परिचय दिया है।

राष्ट्रीय कला मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अभिनव दीप ने सभी चयनित प्रतिनिधियों को बधाई एवं शुभकामनाएँ देते हुए कहा –
“अवध प्रांत की यह उपलब्धि यह दर्शाती है कि हमारी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े युवाओं में राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व करने की पूरी क्षमता है। ये चयन भारतीय कला-संस्कृति को नई ऊँचाइयों तक ले जाने में सहायक सिद्ध होंगे।”

इसके अतिरिक्त, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अवध प्रांत) के संगठन मंत्री अंशुल विद्यार्थी ने भी सभी चयनित सदस्यों को शुभकामनाएँ देते हुए कहा –
“यह चयन हमारी युवा प्रतिभाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा। कला के क्षेत्र में अवध की यह सशक्त उपस्थिति आने वाले समय में सांस्कृतिक पुनर्जागरण का आधार बनेगी।”

कार्यशाला के दौरान विविध सत्रों में भारत की पारंपरिक एवं समकालीन कलाओं, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, लोक कलाओं के संरक्षण तथा प्रशिक्षण की कार्ययोजनाओं पर व्यापक विचार-विमर्श हुआ। देशभर से आए प्रतिभागियों ने विभिन्न विषयों पर चर्चा की तथा आगामी कार्यक्रमों की दिशा तय की।

अवध प्रांत की इस प्रभावशाली उपस्थिति ने कार्यशाला में विशेष पहचान बनाई और यह सिद्ध किया कि सांस्कृतिक नेतृत्व में अब अवध की भूमिका और भी सशक्त होने जा रही है।

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