लाइव सत्यकाम न्यूज,लखनऊ : विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा है कि जब उत्तर प्रदेश की विधानसभा में विकसित भारत और विकसित उत्तर प्रदेश के विजन 2047 पर 24 घंटे की ऐतिहासिक चर्चा हो रही है तब यह बताना जरूरी है कि विकसित उत्तर प्रदेश के विजन के लिये पॉवर सेक्टर को सार्वजनिक क्षेत्र में बनाये रखना जरूरी है। संघर्ष समिति ने कहा कि योगी सरकार के विगत 08 साल के कार्यकाल के दौरान प्रदेश की बिजली व्यवस्था में लगातार सुधार हो रहा है ऐसे में निजीकरण का प्रस्ताव लाकर बिजली व्यवस्था पटरी से उतारने की कोशिश पर तुरन्त विराम लगना चाहिये ।
संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण के विरोध में 08 अगस्त से 15 अगस्त तक तिरंगा लेकर अभियान चलाने के संघर्ष समिति के कार्यक्रम के क्रम में 14 अगस्त को सभी जनपदों और परियोजनाओं पर बिजली कर्मी तिरंगा रैली निकालेंगे और तिरंगा लेकर निजीकरण के विरोध में सभा करेंगे।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के केंद्रीय पदाधिकारियों ने कहा कि प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने विधान सभा में कहा कि बिजली व्यवस्था में लगातार सुधार हो रहा है और हम 24 घंटे गुणवत्ता परक विद्युत आपूर्ति करने की स्थिति में आ गये हैं। यह सही भी है। योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के समय बिजली की ए टी एंड सी हानियां 42 प्रतिशत थीं जो आज राष्ट्रीय मानक 15% पर आ गई है। उप्र ने देश में सर्वाधिक विद्युत आपूर्ति का नया कीर्तिमान मई 2025 में बनाया है। पहले सर्वाधिक विद्युत आपूर्ति का कीर्तिमान महाराष्ट्र के पास रहता था। उत्तर प्रदेश में बिजली के 03 करोड़ 63 लाख उपभोक्ता है जो देश में किसी भी एक प्रदेश में सर्वाधिक हैं।
संघर्ष समिति ने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के 42 जनपदों में प्रदेश की सबसे गरीब जनता रहती है। पूर्वांचल में गरीबी है ही तो बुंदेलखंड में पीने का पानी जमीन की सतह के बहुत नीचे है जिसे ऊपर लाने के लिए बिजली की आवश्यकता होती है। जब विकसित भारत और विकसित उत्तर प्रदेश 2047 के विजन की चर्चा हो रही है तो पूर्वांचल और दक्षिणांचल की गरीब जनता पर बिजली का निजीकरण थोपने का क्या औचित्य है ? विकसित उत्तर प्रदेश 2047 के लिए सस्ती बिजली सबसे अधिक जरूरी है जो सार्वजनिक क्षेत्र में ही सम्भव है ।
संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण के पीछे मेगा स्कैम है। पॉवर कारपोरेशन के अध्यक्ष और निदेशक वित्त निधि नारंग की निजी घरानों के साथ मिलीभगत है। पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष आशीष गोयल ने नवंबर 2024 में लखनऊ में हुई एक मीटिंग में ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोशिएशन बना लिया और उसके महामंत्री बन गए हैं। आल इंडिया डिस्कॉम एसोशिएशन में देश के सभी बड़े कारपोरेट घराने शामिल है और इसका मुख्य उद्देश्य बिजली का निजीकरण है। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष विगत आठ महीने से डिस्कॉम एसोशिएशन के महामंत्री के रूप में काम कर रहे हैं। अब जब निदेशक वित्त निधि नारंग का कार्यकाल बढ़ाने का प्रस्ताव उप्र सरकार ने अस्वीकृत कर दिया है तब विकसित उत्तर प्रदेश विजन 2047 के लिए जरूरी है कि इन लोगों के द्वारा तैयार किया गया निजीकरण का दस्तावेज तत्काल रद्द किया जाय ।
राजधानी लखनऊ में 14 अगस्त को सायं 04 बजे हाइडिल फील्ड हॉस्टल पर सभा होगी। लखनऊ के समस्त कार्यायलयों के बिजली कर्मी अपने-अपने कार्यालय से तिरंगा यात्रा लेकर फील्ड हॉस्टल पहुंचेंगे।
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा
उपभोक्ता परिषद ने कहा ऊर्जा मंत्री जी की बात बिल्कुल सही है निश्चित तौर पर ऊर्जा क्षेत्र में सुधार हो रहा है बिजली कंपनियां आगे बढ़ रही है तो फिर आपको यह भी ऐलान कर देना चाहिए कि जब सुधार हो ही रहा है तो फिर आगे अब अडानी टाटा या अन्य निजी घरानो को उत्तर प्रदेश सरकार निजी क्षेत्र में देने पर विचार नहीं करेगी
प्रदेश के माननीय ऊर्जा मंत्री जी द्वारा आज विधानसभा में पुरानी सरकार का और अपनी सरकार का तुलनात्मक चर्चा की गई निश्चित तौर पर समय के साथ बिजली विभाग में बहुत सी उपलब्धियां है और बहुत सी अनुपलब्धियां भी जब अब सुधार की बात शुरू ही हो गई है तो माननीय ऊर्जा मंत्री जी माननीय तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी के कार्यकाल में वर्ष 2013 में गाजियाबाद वाराणसी मेरठ व कानपुर शहरों के विद्युत वितरण क्षेत्र को निजी क्षेत्र में देने के लिए मेजर्स मकान लिमिटेड को ट्रांजैक्शन एडवाइजर रखा गया था रिपोर्ट भी आ गई थी अंतत पूरे मामले को उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग में चैलेंज कर दिया और उसके जवाब में उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन का हलफनामा दाखिल हुआ और अंततः उपभोक्ता परिषद की मांग पर उत्तर प्रदेश की तत्कालीन सरकार पीछे हट गई और माननीय अखिलेश जी ने उपभोक्ता परिषद की बात मान ली और निजीकरण नहीं हुआ तो फिर अब प्रदेश के माननीय ऊर्जा मंत्री जी को यह भी ऐलान कर देना चाहिए कि जो प्रदेश के 42 जनपदों के निजीकरण का मामला सरकार द्वारा विचार करते हुए विद्युत नियामक आयोग में मसौदा भेजा गया था और अंततः उपभोक्ता परिषद के भारी विरोध के बाद उसमें बड़े पैमाने पर खामियां सामने आई है और आयोग द्वारा उसे वापस कर दिया गया तो अब तत्कालीन अखिलेश सरकार की तरह वर्तमान उत्तर प्रदेश सरकार को भी निजीकरण का फैसला तत्काल वापस ले लेना चाहिए तुलना करो तो ठीक से करो आधा अधूरा तुलना करना उचित नहीं है।
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा यह बात किसी को नहीं भूलना चाहिए कि वर्तमान में केंद्र सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश में ऊर्जा क्षेत्र के सुधार के लिए लगभग 44000 करोड़ से ज्यादा पैसा खर्च किया जा रहा है और बिजनेस प्लान में भी हजारों करोड़ खर्च हो रहा है ऐसे में सुधार तो हो ही रहा है माननीय ऊर्जा मंत्री जी जब सुधार स्वीकार कर लिया है तो अडानी टाटा को निजी क्षेत्र में देने की बात पर विराम लगा देना चाहिए।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा यह मामला यहीं तक नहीं है इसके पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय माननीय मुलायम सिंह की सरकार में भी 2005-6 में जब लखनऊ के ग्रामीण क्षेत्र को निजी क्षेत्र में देने की बात की गई थी तो उपभोक्ता परिषद की याचिका पर विद्युत नियामक आयोग ने उसे पर रोक लगा दी थी तो माननीय ऊर्जा मंत्री जी उदाहरण तो बहुत है जनहित में अभी भी समय है वर्तमान सरकार को निजीकरण के फैसले को वापस लेते हुए ऊर्जा क्षेत्र को सरकारी क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहिए बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने 1934 में कहा था बिजली जैसी आवश्यक सेवाएं हमेशा सरकारी क्षेत्र में रहना चाहिए तो ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार को बाबा साहब द्वारा जो भी विचार 1934 में रखे गए इस पर आगे चलकर बिजली क्षेत्र को आगे बढ़ना चाहिए।


