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पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन और शीर्ष प्रबन्धन के साथ हुई लम्बी वार्ता

लाइव सत्यकामन न्यूज,लखनऊ :विधुत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र द्वारा दिये गये पीपीटी प्रेजेन्टेशन में ऊर्जा निगमों में घाटे के लिए अनेक बिन्दु गिनाये गये। मुख्यतया बहुत मंहगे बिजली खरीद करार और सरकारी विभागों का राजस्व बकाया घाटे के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार ठहराया गया। प्रेजेन्टेशन के अनुसार विद्युत उत्पादन निगम से विद्युत वितरण निगमों को रू 4.17 प्रति यूनिट की दर से बिजली मिल रही है। सेण्ट्रल सेक्टर से औसतन रू 4.78 प्रति यूनिट की दर से बिजली मिलती है। निजी घरानों से रू 5.45 प्रति यूनिट की दर से तथा शॉर्ट टर्म पॉवर परचेज के माध्यम से रू 7.31 प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदी जा रही है। अन्य माध्यमों से रू 14.204 प्रति यूनिट की दर तक बिजली खरीदी जा रही है।
संघर्ष समिति ने बताया कि उपरोक्त मंहगी बिजली क्रय करारों से विधुत वितरण निगमों को उत्पादन निगम की तुलना में लगभग रू 9521 करोड़ का अधिक भुगतान करना पड़ रहा है। प्रेजेन्टेशन के जरिये यह भी बताया गया कि ऐसे कई बिजली क्रय करार हैं जिनसे वर्ष 2024-25 में एक यूनिट भी बिजली नहीं खरीदी गयी किन्तु लगभग रू 6761 करोड़ का भुगतान करना पड़ा।
इस प्रकार मात्र मंहगे बिजली क्रय करारों के चलते विधुत वितरण निगमों को कुल लगभग रू 16282 करोड़ रूपये का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ रहा है जो घाटे का एक सबसे बड़ा कारण है, जिसकी सारी जिम्मेदारी प्रबन्धन की है। प्रेजेन्टेशन में यह बताया गया कि वर्तमान में सरकारी विभागों पर लगभग रू 14 हजार करोड़ बिजली राजस्व का बकाया है। यह धनराशि सभी विद्युत वितरण कम्पनियों के पॉवर कारपोरेशन द्वारा दर्शाये गये वार्षिक घाटे से कहीं अधिक है। संघर्ष समिति ने कहा कि यदि बहुत मंहगे बिजली खरीद करार रद्द कर दिये जायें और सरकारी विभागों का बिजली राजस्व का बकाया मिल जाये तो विधुत वितरण निगम मुनाफे में आ जायेंगे और घाटे के नाम पर किसी निजीकरण की आवश्यकता नहीं होगी।
संघर्ष समिति ने राजस्व वसूली में कानून व्यवस्था को सबसे बड़ी बाधा बताया। संघर्ष समिति ने कहा कि राजस्व वसूली के दौरान मार-पीट होने पर पॉवर कारपोरेशन के शीर्ष प्रबन्धन और जिला प्रशासन से अधिकांशतया समय पर मदद नहीं मिलती। संघर्ष समिति ने बिजली के इन्फ्रास्ट्रचर से कई हजार करोड़ रूपये की नॉन टैरिफ आय के कई सुझाव दिये। उदाहरण के तौर पर सब स्टेशनों पर चार्जिंग स्टेशन की स्थापना, खम्भों पर टेण्डर के जरिये नॉन टैरिफ इनकम, अनुपयोगी जमीनों पर लीज के माध्यम से वाणिज्यिक गतिविधियां, बैटरी स्टोरेज की स्थापना तथा अनुपयोगी जमीनों और छतों पर सोलर पैनल की स्थापना आदि कई सुझाव दिये गये।
संघर्ष समिति ने उप्र में आगरा और ग्रेटर नोएडा में चल रहे निजीकरण के प्रयोग को आकड़े देकर यह साबित कर दिया कि निजीकरण पॉवर कारपोरेशन के लिए घाटे का सौदा है। आगरा में निजीकरण से पॉवर कारपोरेशन को प्रति वर्ष लगभग एक हजार करोड़ रूपये का नुकसान हो रहा है।
वार्ता में प्रबन्धन की ओर से पावॅर कारपोरेशन के चेयरमैन डॉ आशीष गोयल, प्रबन्ध निदेशक पंकज कुमार, निदेशक कमलेश बहादुर सिंह, निदेशक जी डी द्विवेदी और प्रबन्धन के अन्य लोग थे।
विधुत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र की ओर से शैलेन्द्र दुबे, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, महेन्द्र राय, पी के दीक्षित, सुहेल आबिद, ओ पी सिंह, डी के मिश्रा, श्रीचन्द, सरजू त्रिवेदी, मो इलियास, देवेन्द्र पाण्डेय, प्रेम नाथ राय, आशीष भारती, राम सहारे वर्मा, पी एस बाजपेई, दीपक चक्रवर्ती, आर सी पाल, सनाउल्लाह, कपिल मुनि, आशीष त्रिपाठी, अमिताभ सिन्हा, आलोक कुमार श्रीवास्तव मुख्यतया उपस्थित थे।

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