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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मदरसा शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में बड़े कदम उठाने के लिए दिए निर्देश

लाइव सत्यकाम न्यूज,लखनऊ :उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में मदरसा शिक्षा व्यवस्था में व्यापक सुधार की आवश्यकता जताते हुए कहा कि मदरसों को केवल धार्मिक शिक्षा के केंद्र के रूप में सीमित न रखकर, विद्यार्थियों को आधुनिक शिक्षा के सभी आयामों का लाभ देना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य मदरसा शिक्षा को पारदर्शी, गुणवत्तापूर्ण और रोजगारपरक बनाना है, ताकि हर विद्यार्थी का भविष्य उज्जवल हो सके।मुख्यमंत्री ने आज अपने सरकारी आवास पर आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में प्रदेश की मदरसा शिक्षा व्यवस्था की गहन समीक्षा की। इस बैठक में अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ विभाग ने मदरसों की वर्तमान स्थिति, चुनौतियों और भावी कार्ययोजना पर एक प्रस्तुतीकरण दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार का उद्देश्य सिर्फ सुधार नहीं, बल्कि नवाचार और समावेशिता के माध्यम से मदरसा शिक्षा को मुख्यधारा में लाना है, ताकि समाज के हर वर्ग को समान अवसर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।मुख्यमंत्री ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मदरसा बोर्ड की कामिल (स्नातक) और फाजिल (परास्नातक) स्तर की डिग्रियों को असंवैधानिक घोषित किए जाने से मदरसा शिक्षा व्यवस्था को एक नया चुनौती सामना करना पड़ा है। इसके साथ ही, मान्यता के मानकों को शिक्षा विभाग के स्कूलों के समरूप बनाने और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप मदरसों के पाठ्यक्रम में बदलाव की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया।मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षकों की चयन प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने की आवश्यकता है। वर्तमान व्यवस्था में मदरसों में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में सुधार की जरूरत है। इसके लिए उन्होंने निदेशक, अल्पसंख्यक कल्याण, उत्तर प्रदेश की अध्यक्षता में एक समिति के गठन के निर्देश दिए, जिसमें बेसिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, वित्त, न्याय एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभागों के विशेष सचिव सदस्य होंगे। यह समिति मदरसों के संचालन, शिक्षकों की सेवा सुरक्षा और विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक बदलावों पर अपनी संस्तुति देगी।बैठक में यह जानकारी दी गई कि प्रदेश में वर्तमान में कुल 13,329 मान्यता प्राप्त मदरसे संचालित हैं, जिनमें 12,35,400 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। इनमें से 561 मदरसे राज्य सरकार से अनुदानित हैं, जिनमें 2,31,806 छात्र पंजीकृत हैं। अनुदानित मदरसों में कार्यरत शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की संख्या क्रमशः 9,889 और 8,367 है। इन्हें सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के अनुसार वेतन और भत्ते मिल रहे हैं।मुख्यमंत्री ने यह भी जानकारी ली कि मदरसा पोर्टल की शुरुआत अगस्त 2017 में की गई थी, जिससे मदरसा शिक्षा परिषद की समस्त कार्यप्रणाली ऑनलाइन हो गई है। इस पोर्टल पर कुल 19,123 मदरसों ने पंजीकरण कराया, जिनमें से 13,329 सत्यापित होकर लॉक हो चुके हैं। इससे पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हुई है। हालांकि, उन्होंने बोर्ड परीक्षाओं में सम्मिलित होने वाले छात्रों की संख्या में गिरावट को गंभीर माना और सुधार की आवश्यकता जताई।मुख्यमंत्री ने कहा कि मदरसा शिक्षा में सुधार के साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता को भी प्राथमिकता दी जाएगी। इस उद्देश्य के लिए एससीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू किया गया है, और वर्ष 2025-26 से यह व्यवस्था पूरी तरह से क्रियान्वित हो चुकी है। इसके अलावा, कक्षा 9 से 12 तक माध्यमिक शिक्षा परिषद के पाठ्यक्रम के अनुरूप पाठ्यक्रम लागू किए जाने की प्रक्रिया भी चल रही है।

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