लाइव सत्यकाम न्यूज, लखनऊ :उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (रेरा) ने राज्य में भू-सम्पदा परियोजनाओं के प्रचार-प्रसार, निर्माण की गुणवत्ता और उपभोक्ता हितों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नए निर्देश जारी किए हैं। प्राधिकरण के अध्यक्ष संजय आर. भूसरेडडी ने बताया कि रेरा अधिनियम, 2016 के तहत अब कोई भी संप्रवर्तक बिना पंजीकरण के न तो अपनी परियोजना का प्रचार-प्रसार कर सकेगा, न ही बुकिंग या विक्रय जैसी गतिविधियों को अंजाम दे सकेगा।उन्होंने कहा कि किसी भी परियोजना के प्रचार में अब सत्यता और पारदर्शिता सुनिश्चित करना अनिवार्य कर दिया गया है। पंजीकृत परियोजनाओं के किसी भी प्रचार माध्यम—चाहे वह प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक या सोशल मीडिया हो—में अब रेरा पंजीकरण संख्या, पंजीकरण प्रमाणपत्र (फॉर्म-सी) में प्रदर्शित क्यूआर कोड, प्राधिकरण की वेबसाइट का उल्लेख और परियोजना से संबंधित कलेक्शन बैंक अकाउंट नंबर का स्पष्ट रूप से उल्लेख करना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही, परियोजना के पंजीकरण प्रमाणपत्र को प्रधान कार्यालय, साइट कार्यालय और ग्राहक सेवा प्रबंधक कार्यालय में A3 आकार के फोटो फ्रेम में प्रदर्शित किया जाना होगा।रेरा अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि भवन निर्माण की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए भवनों के नियोजन और निर्माण में अद्यतन राष्ट्रीय भवन संहिता (एनबीसी) और भारतीय मानक ब्यूरो के नवीनतम आईएस कोड्स का अनुपालन किया जाना आवश्यक होगा। विद्युत सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के दिशा-निर्देशों का पालन किया जाएगा और डिजिटल कनेक्टिविटी के लिए ट्राई के निर्देशों के अनुरूप कम से कम दो इंटरनेट सेवा प्रदाताओं की सुविधा सुनिश्चित की जाएगी।उन्होंने यह भी बताया कि प्रत्येक परियोजना की त्रैमासिक प्रगति रिपोर्ट संबंधित त्रैमास के समापन के 15 दिनों के भीतर उत्तर प्रदेश रेरा पोर्टल पर अपडेट करना अनिवार्य होगा।इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य भू-सम्पदा क्षेत्र में व्यवसायिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और मानकीकरण सुनिश्चित करना है ताकि उपभोक्ताओं को समय पर और प्रमाणिक जानकारी मिल सके तथा उनकी पूंजी की सुरक्षा हो सके।